3 Short Fiction Stories for Adults

3 Short Fiction Stories for Adults - Love and Friendship

एक आसमानी नीले रंग की कुर्ती

प्यार ! मैं उससे प्यार नहीं करता, ना कभी उसके बारे में सोचता | उसने अकेले में खुद से कहा | लेकिन जितना वो कहता, उसका मन उतना ही उसके बारे में सोचता | और वो लड़की उसके दिमाग में खुशबु की तरह बस जाती | वो उसे दिल तक जाने के लिए मना करता तो वो दिल की तरफ बहने लगती |

बड़ी जिद्दी लड़की थी, जो चीज़ उसे वो मना करता, वो वही करती | जिद्दी भी ऐसी, जो बोल देती, जो ठान लेती, पूरा करके ही मानती | धीरे-धीरे लड़के का मन, असल में बदतमीज मन भी उसके काबू से बाहर हो गया और उसकी कही एक ना सुनता | उसका मन लड़की के मन के साथ घुल-मिल गया | दिन भर दोनों मन हवाओं पर सवार होकर समुंद्र की लहरों की तरह उड़ते रहते |

4 Short Fantasy Stories in Hindi Font

वो भी दिल के साथ कुछ नर्म हो गया और उसे बहने देता | उस दिन से उसके चेहरे पर एक चमक रहने लगी | हर कोई पूछता पर उससे कुछ कहते ना बनता | एक दिन लड़की का मन पूछ बैठा –“तुम मेरे कौन हो?”, लड़के से कुछ कहते ना बना | उस दिन उसकी कलम भी खामोश थी, शायद वो उस रिश्ते को शब्दों के बंधन में नहीं बाँधना चाहती थी | (Short Fiction Stories)

लड़की उदास हो गयी और लड़के का मन अकेला हो गया | उसके चेहरे की चमक भी जाती रही और तब किसी ने नहीं पूछा, लेकिन वो दुखी रहने लगा | वो रात भर जागता, उसे नींद ना आती |

एक रात उसे नींद आ गयी | शायद लड़की को भी उसकी याद आयी होगी | उसका मन लड़की के ख्वाबों में जा पंहुचा | उसके पास लड़की के लिए एक गिफ्ट भी था “एक आसमानी नीले रंग की कुर्ती”, लड़की ने मना किया कि सपनों में कपड़े गिफ्ट देने नहीं चाहिए | लेकिन वो नहीं माना |

अगले रोज़ लड़की बीमार हो गयी और बीमार मन को हवाओं में जाने की मनाही थी | लड़के को पता चला तो उसे बहुत दुःख हुआ कि क्यों उसके मन ने रात उसकी बात नहीं मानी | उसने मन को खूब डांटा, वो भी सहम कर चुप हो गया | वो अब सपनों में भी गिफ्ट देने से डरता है लेकिन उसका मन तो अब भी उस लड़की से प्यार करता है |

Writer – Parvesh Kumar “PK”

short fiction stories with morals

शुक्रिया दोस्त ! शुक्रिया सपने !…

सूरज आग उगल रहा था | दूर तक खाली मैदान, कहीं कुछ नहीं, बस उस मैदान के बीच में, मैं और एक सफ़ेद रंग का घोड़ा | घोड़ा ना जाने कहाँ से आया और मेरे पास आकर खड़ा हो गया | मुझे तो घुड़सवारी आती भी ना थी | हो सकता है, उसे उस खाली मैदान में मेरे सिवा कोई दिखाई नहीं दिया होगा | बस फिर क्या था, जहाँ मैं जाता मेरे साथ हो लेता | मैंने रुक कर उसकी तरफ देखा | शायद मेरी तरह वो भी अपने अंदर के खालीपन और तन्हाई के राक्षस से लड़ रहा था, तभी तो वहाँ पहुँच गया था |

नीलम तेरा प्यार – Heart Touching Sad Love Stories

अचानक, सूरज ने अपनी किरनें हम दोनों पर केन्द्रित कर दी, जैसे अँधेरे कमरे में टोर्च की रौशनी से कुछ ढूंढने के लिए की जाती है | मगर वो हमारे अन्दर क्या ढूंढ रहा था, ये क्या ! उसकी आग हमारे थोड़े से गीले गले को भी सुखाने लगी | मेरी और घोड़े की नज़रें मिली, और हम दोनों, मैं उसके ऊपर, सूरज को पीठ दिखा कर भाग खड़े हुए | हम बेतहाशा भागे जा रहे थे, शायद पानी की तालाश में, शायद जंगल की तालाश में, तन्हाई के राक्षस से दूर | Short Fiction Stories

अचानक, मैदान ख़त्म हो गया, सामने से पानी का समुंद्र बहा चला आ रहा था | हम दोनों परेशान हुए, मैदान से भाग कर आये तो रुसवाई के समुंद्र ने घेर लिया | ये घोड़ा तो बड़ा बेरहम निकला, मुझे पटक कर अकेला भाग खड़ा हुआ और उसके हिस्से का मैदान और समुंद्र भी मेरे हिस्से आ गया |

मैं कुछ सोचता उससे पहले प्यास से मेरे प्राण सूखने लग गए, मेरी चेतना जाती रही | मैं बेहोश, समुंद्र के साथ बहता रहा | वो कभी मुझे जोर का धक्का मारता, कभी हवा में उछाल देता | एक मैं था, जो होश में ना आता था | आख़िर, मरे हुए को कोई कब तक मारे, समुंद्र भी मुझे अकेला छोड़ कर चला गया |

ना मैदान, ना समुंद्र, ना घोड़ा | मेरी चेतना लौटी तो मैं अकेला छोटे-छोटे, नर्म, गीले घास में पड़ा हुआ था | मुझे कोई दूर से मेरी ओर आता दिखाई दिया | उसकी आकृति धुंधली थी मगर उसके हाथ में कुछ सामान था | वो नजदीक आया, उसने मुझे सहारा देकर उठाया और अपने साथ लेकर चल दिया |

उसका चेहरा साफ-साफ तो नहीं दिखाई दिया, मगर कोई अपना सा लगा, सो मैंने उसे कुछ नहीं कहा और उसके साथ-साथ चलता रहा | थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपने सामान से निकालकर पानी दिया | पानी की दो बूँद मेरे अन्दर जाते ही, मेरा खाली मैदान हरा होने लगा, मेरे अन्दर का राक्षस डूबने के डर से चिल्लाने लगा | मैंने जल्दी से एक बड़ा घूँट पानी का पी लिया | मुझे साफ सा दिखने लगा | वो अपना, मुझे मेरे एक दोस्त जैसा लगा | मगर मैं उससे नाम पूछता, उसके साथ लंच करता जोकि उसके सामान में था, मुझे यकीन था कि उसमे खाना ही था, मगर उससे पहले ही सपना टूट गया | शायद वो दोस्त तुम थे ‘नवीन’ | खैर, शुक्रिया दोस्त ! शुक्रिया सपने !

लेखक : प्रवेश कुमार “पीके”

Fiction Stories for Girlfriend and Boyfriend

क्या तुम्हे भी हिचकियाँ नहीं आती ?

जितनी तकलीफ़ और तड़प इस जाड़े के मौसम से होती है उतनी तो उस Bewafa की जुदाई के वक़्त भी नहीं हुई थी | ऊपर से उसे ये गुमान कि बेवफाई उसने नहीं मैंने की है | लेकिन सच बताऊँ तो हमने अपने दिलों को अपने-अपने तरीके से समझा लिया है और एक दूसरे को हरजाई कहकर खुद का अपराधबोध कम कर लेते हैं | हम दोनों में से, दरअसल, Bewafa कोई नहीं है, मैं थोड़ा बदतमीज हूँ और वो थोड़ी बददिमाग | अब हम एक दूसरे को याद नहीं करते, बस भूलने की कोशिशों में लगे रहते हैं |

3 Ghost Stories in Hindi Language

तुम्हारा तो पता नहीं कि कितना याद करती हो | ना तो मुझे कोई हिचकी ही आती है ना Facebook और Whatsapp पर तुम्हारा जवाब | शायद भूल ही गयी हो, थोड़ा पत्थर दिल तो तुम हो ही | क्यों ? इसमें झूठ क्या है ? तुम खुद भी तो पहले स्वीकार करती थी लेकिन जब से अलग हुई हो पुरानी बातें सब भूल गयी हो | अच्छा एक बात बताओ, क्या तुम्हे भी हिचकियाँ नहीं आती ? Short Fiction Stories

जानता हूँ, तुम यही कहना चाहती हो ना कि कभी मैं याद करूँ तो हिचकी आये | तुम्हे सच बताऊँ आज तुम्हे किस कदर भुलाने की कोशिश की है |

सर्दियाँ शुरू होने के बाद आज पहली बार सुबह को बाहर निकला | काफी लम्बा सफ़र था और बाइक से जा रहा था | बाइक पर ठंडी हवाओं ने भीतर तक सब ठंडा कर दिया | मुझे तुम्हारी याद आई और लगा तुम कहीं आसपास हो | Delhi से बाहर, तुम्हारे शहर से दूर जा रहा था | लेकिन तुम बड़ी दुष्ट हो, तुम कैसे जाने देती मुझे खुद से, अपने शहर, अपनी नज़रों से दूर | तुम्हे मज़ा जो आता है मुझे तड़पते हुए देखने में |

तुम्हारे शहर की सीमा से बाहर निकला ही था कि धुंध ने सारा दृश्य धुंधला कर दिया | मालूम नहीं अब धुंध को तुमने भेजा था या तुम खुद धुंध बन कर आई थी | मुझे तो लगता है तुम खुद ही थी | पुरे सफ़र मुझे रास्ता भुलाने की कोशिश करती रही | Sad Love Stories

तुम ही थी मुझे यकीन है क्योंकि तुमने ओस बनकर मुझे छुआ था | तुम्हारा सपर्श अभी भी मेरी स्मृतियों में बसा हुआ है | मेरे सर, पलकों और मेरी छोटी-छोटी मूछों को तुम कैसे ओस की बूँद बनकर छू रही थी | अब तुम चुप रहो, ये मेरा सच है या जो भी हो | मुझे तुम्हारी सफाई नहीं चाहिए कि तुम नहीं थी | मुझे मालूम है तुम ही थी, बस तुम ही थी |

अच्छा एक बात बताओ, आजकल रातों में तुम्हे इतना जल्दी नींद कैसे आ जाती है | मैं तो देर रात तक करवटें बदलते रहता हूँ और सोचता हूँ कि अब करवट बदलूँगा तो बगल में तुम लेटी मिलोगी | और मुझे आगोश में भर लोगी, कभी ना अलग होने के वादे के साथ | आज की रात भी यूँ ही गुजर गयी | ना तो तुम्हे भूल पाया और ना करवट बदलने पर तुम ही मिली | लेकिन एक वादा करो, बस आख़िरी वादा | अगर मुझे कभी हिचकी आई तो मैं तुम्हे बताऊंगा और अगर तुम्हे हिचकी आई तो तुम भी मुझे Facebook या Whatsapp करोगी | मुझे पता है आज तुम्हे हिचकी आई है | अब प्लीज Message कर दो | मैं Facebook पर तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ |

Writer – Parvesh Kumar “PK”